आम आदमी
आम आदमी
कौन है आम आदमी ,क्या
गरीब आदमी को आम आदमी कहते है
? आखिर कौन है आम आदमी
? !
अरे भाई ! आम आदमी आप, मैं और जनता होती है।जिसका सम्बन्ध किसी ऊँचे व्यवसाई
, राजनेता या कलाकार से न हो ।आम आदमी वो होता है, जिसे अपने सभी काम खुद ही
करने होते है।
अच्छा समझे की आपको नौकरी की जरुरत है, तो आम आदमी को नौकरी
खोजनी होती है ,जबकि खास आदमी के पास तो नौकरी खुद ही आती है।आम आदमी को खुद ही चक्कर
लगाने होते है।उस खास आदमी के तब जाके कुछ हो पाता है। अरे
! मैं तो भटक गया मैं आम आदमी की बात कर रहा था। मैं तो उसकी परेशानी बताने लगा । अच्छा तो वापस विषय में आते है। आम आदमी होता है । जिसके आस-पास के घर में कोई बड़ा व्यक्ति नहीं रहता हो , जेसे महापौर (मेयर ), पार्षद,नेता,अभिनेता पुलिशवाले आदि और भी बहुत होते है। वो आप खुद ही सोच सकते है। वे सभी व्यक्ति जिससे मिलके मिलने के बाद आपको अपने आम होने का एहसास होता हो। आम आदमी को अपने काम करने या करवाने के लिए रात दिन एक करने होते है, तब जा के वह सफल होता है।
अच्छा मान लीजिए आप कभी सड़क से निकल रहे है। तभी कोई नेता की गडडी आ जाये, तो रोड ख़ाली करनी होगी क्युकी आम आदमी नेता जी की सड़क रोकता है। उन्हें तो समय पर पहुँचना है। आम आदमी के कारण लेट हो जायेगे, आम आदमी को लेट होने में कोई नुकसान नहीं है। बस साहब (बॉस )की डाट खानी होगी और हो सकता है, एक दिन की पेमेंट ही रुक जाये । ..
और दूसरी बात करे तो यदि कोई अपराधी पकड़ में न आये, और पुलिश वाले के उपर दबाव पड़े की क्या कर रहे हो अभी
तक एक अपराधी को नहीं पकड़ पाए। ..तब आनन-फानन में सिर्फ
"आम आदमी "को ही
पकड़ना होगा,क्युकी वो किसी को फोन भी नहीं लगा सकता ना। जब आम आदमी की बात कर रहे तो जहन में एक बात आती है,कि आखिर
आम आदमी ही हर तरफ
से क्यों फसता है? आखिर वो आम क्यों बन जाता है ?
अरे ! भाई सीधी सी बात है ,उसका संबध किसी नेता से नहीं होता है, और ना ही उसके पिता बड़े आदमी थे या है ।जिससे नेता जी के ट्रस्ट में रुपये जाते है।और ना ही उनका संबध गाँधी परिवार से है तो हुआ ना आम आदमी
..
अरे !! कभी नेता जी से सहानुभूती चाहिये तो पहुँच जाईये उनके दफ्तर मीडिया को लेकर फिर देखीये कमाल नेता जी का सेकेट्री बोलेगा साहब
जी आम
आदमी आया है जरा उसकी बात सुन
लीजिये मीडिया वालो को भी साथ लाया है। थोड़ी बहुत खबर छप जाएगी तो आप फेमस हो जायेगे
और चुनाव भी तो आ रहे है ना तो विपछ वालो को भी थोडा मौका
मिल जाएगा आपसे जलने का ।अब नेता हो या अभिनेता सब को ऊपर उड़ने के लिए आम आदमी की ही जरुरत होती है और आम आदमी उनकी मदद कर भी देता है और करे क्यों न उम्मीद पे तो आसमान टिका है ना ..वह मदद करता है फिर उसके बाद कौन जाने की आम आदमी आम ही रहेगा
,उसका कुछ नहीं होने वाला है। पर इनमे एक्का - दुक्का अपवाद भी हो जाते है ।कई बार आम आदमी होने के फायदे भी होते है उदहारण के लिए देखे की एक बार नेता जी के पड़ोस में लड़ाई चल रही थी अब बात कोई और की होती तो ठीक थी ,पर बात नेताजी के चमचे की थी।तो नेता जी क्यों नहीं बोलते पर हम क्या करे हमे थोड़ी ही पता था की जिससे हम उलझ रहे है वोनेता जी की आदमी है पता होता तो एक गाल और दिखा देते भाई मार लो। अब बात नेता जी तक पहुँच चुकी थी।हमे बुलाया गया की क्यों बे नेताजी के आदमी से लड़ रहा था।तुझे पता नहीं है क्या साले !!!
रहना है की नहीं इस गली में
और तमाचा मारते
ही की उससे
पहले नेता
जी का एक और खास
बोल पड़ा जो हमे थोडा बहुत जानता था।हमने उन्हें नास्ता करवाया था एक बार
बस उसका
फायदा मिल गया। वो बोला अरे
जाने दीजिए
सर आप भी
... आम आदमी है इससे अपना वोट बैंक बना है धरना प्रदर्शन में आता रहता है छोड दीजिए ।
चुनाव होते है तो हम आम आदमी ही भीड़ बनते है तभी तो चुनाव को " आम चुनाव " और सभा को " आम सभा " कहते है ..
अब आगे बढते है .... तो मुझे याद आता है कि जब कभी कोर्ट के आदेश आते है की इन नियम का पालन किया जाये ,ये किया जाये वो किया जाये। तब सबसे पहले इन नियमो
का पालन आम आदमी को ही करना होता है।आप सभी ने ये देखा होगा की सड़क के किनारे साहब लोग (साहब से मतलब खाकी वर्दी वालो से है )आम आदमी की जेब खगांलते दिखते
है।अब क्यों न करे क्यों की बड़े आदमी को पकड़ते है तो वो बोलता है जरा बात कर लो बस साहब भूल जाते है की वो खुद क्या है और छोड देते है। उन्हें अब उनके बदले का सारा गुस्सा आम आदमी पर
ही ...
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