बातचीत की कला
बातचीत किन लोगो के साथ करनी चाहिए ये हमेशा सोचना होता है और जिन
लोगों से बातचीत की कोई जरूरत नहीं होती , उन्हीं की संगत
में हम अधिक बतियाते हैँ | फिर उसका नतीजा हमे कुछ दिन बाद देखने मिलता है | बातचीत
को कुछ हद तक हमारे चरित्र की अभिव्यक्ति
का माध्यम भी कहा जाता है | इस के प्रयोग के लचीलेपन से अपने कसौटी पर मित्रों और
काठ के उल्लुओं , अवसरवादो को बखूबी परखा जा सकता है|
बातचीत करना भी एक कला है। यह तो आपने देखा ही होगा कि कुछ लोग इतने अच्छे ढंग से बात करते है कि उनकी सभी बातें अच्छी और सच्ची लगती है।और कई लोगो का लहजा इतना खराब होता है कि वो हमारे भले के लिए भी कहे तो भी उसमे बुराई ही नजर आती है। अतः अगर आप जिंदगी में सफल होना चाहते है और अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप लोगो पर छोड़ना चाहते है तो आपको बातचीत करने में कुशलता हासिल करनी होगी। एक अच्छा वार्ताकार बनना उतना भी कठिन नहीं होता है जितनी कि आपने उसके कठिन होने की कल्पना की हो, इसके लिए बस थोड़े से अभ्यास की आवश्यकता पड़ती है।
जब हम किसी अजनबी से बातचीत करते है तो हमारे सामने कई सवाल उभर कर सामने आते है। बातचीत शुरू करने से पहले ही बार बार यही सोचते रहते है कि बात कैसे शुरू की जाए।‘आखिर मैं क्या बात करूँ? कहाँ से शुरू करूँ? बातचीत जारी कैसे रखूँ?’ अगर हमारे मन में किसी अजनबी से बात करने के लिए उससे मिलने से पहले मन में इन सवालो काफिला आने लगे तो समझ लीजिये आपको अपने बातचीत के कौशल को विकसित करने की बहुत अधिक आवश्यकता है।
बातचीत को एक कौशल कहा जाता है | जिसके अंदर उए कौशल होता वह हर किसी के दिलो पर राज कर सकता है | बातचीत की कला में पारंगत होने के लिए विरामों का सही उपयोग करना आवश्यक हैं| कोलन का इस्तेमाल कभी न कीजिए, क्योंकि उन का मतलब है कि आप जो कुछ कह रहे हैं उसके बीच कोई उपविषय घुसा देना | सेमीकोलन से बचिए, क्योंकि उन का मतलब है एक बात कह कर, फिर से सोच कर कुछ और जोड़ना, मतलब ये की आप मनगढंत कुछ सुनाने वाले है , लेकिन पूर्णविरामों का उपयोग ख़ूब करें, इस से मालूम पड़ता है कि आप रुक रहे हैं, और हां, प्रश्नवाचक चिन्हों का उपयोग विशेष रूप से करें, और इसका उपयोग कब-कब करे जब किसी के साथ अपनी बातचीत को कुछ लम्बा रखना चाह रहे हो इस से दूसरों को बात करने का निमंत्रण मिलता है| और आपकी बातचीत की अगले दिन के लिए जारी रखने का आमंत्रण भी |
- बातचीत के लिए सही समय का चुनाव
- सामने वाले की बात को ध्यान से सुने और पूरा महत्व दे
- प्रशंसा करने से बातचीत बनती है रुचिपूर्ण--
- सकारात्मक प्रश्न करे-
- बातचीत में हाव भाव भी है महत्वपूर्ण
- बहस कभी न करे-
- आपकी भाषा सरल और स्पष्ट हो
- आत्मविश्वास की अधिकता या वाचाल होने से बचें
- बातों का सिलसिला जारी रखने के लिए आस-पास की चीजो पर करे बात
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