सोलर पैनल सिस्टम

सोलर पैनल 

Solar Panel आज के समय में रोज की जरूरतों जैसे कि बिजली उर्जा की जरूरतों को पूरा करने के का एक साधन है। हमारे पारम्परिक ईंधन जिन्हें हम उपयोग कर रहें है वो एक तो सीमित है और दूसरा उनके उपयोग से बहुत प्रदुषण होता है। ये आप मौसम के परिवर्तन के अलावा हवा की शुद्धता में भी महसूस कर सकते है ऐसे में उर्जा के दूसरे तरीकों को अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए  जो हमे उर्जा तो दें लेकिन प्रदुषण भी नहीं करें ।जिन्हें हम वैकल्पिक ऊर्जा श्रोत की श्रेणी में शामिल कर सकते है उन्ही में से एक है सूर्य की रौशनी को ऊर्जा में बदलना मतलब सौर ऊर्जा।ये अन्य ऊर्जा की तुलना में सस्ते है। इन्हें हम solar panel की नाम से जानते है।

Solar Panel के बारे में आप सब ने पहले भी सुना है इसलिए इस बारे में बताने की जरुरत नहीं है। एक बड़ा Solar Panel बनाने के लिए कई छोटे छोटे Solar cells का उपयोग किया जाता है और इन्हें वैज्ञानिक भाषा में हम solar module के नाम से भी जानते है और इन्हें ही photo voltaic cell भी कहा जाता है जैसे ही इन पर प्रकाश पड़ता है वैसे ही यह कुछ वोल्टेज उत्पन करते है लेकिन यह मात्रा बहुत कम होती है इसलिए इन्ही छोटे छोटे cells को मिलाकर एक बड़ा solar panel बनाया जाता है ताकि एक पर्याप्त मात्रा में इतना वोल्टेज प्राप्त किया जा सके कि वह हमारे काम के उपकरणों को चलाने लायक हो जाये |

हर एक photo voltaic cell जो होता है वो दो अलग अलग semi-conducting materials का बना होता है जिसमे सिलिकॉन का इस्तेमाल होता है | यह उसी तरह के semi-conducting material होते है जो हमारे टीवी रेडियो या बाकि दूसरे तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में काम में लिए जाते रहे है | सिलिकॉन की कुछ खास तरह की प्रॉपर्टीज होती है कि यह एक अर्धचालक होता है जिसके इसी गुण की वजह से यह खास हो जाता है | photo-voltaic cell को बनाने के लिए दोनों परतों को एक विशेष प्रक्रिया से डोप किया जाता है इसमें पी टाइप की परत के उपर एन टाइप की परत को इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि उपरी परत में कुछ मुक्त इलेक्ट्रान अधिक संख्या में होते है | ऐसे में जब भी प्रकाश इस पर पड़ता है वो अपनी उर्जा इसमें छोड़ देते है जिसकी वजह से इलेक्ट्रॉन्स का प्रवाह शुरू हो जाता है जिसकी वजह से बिजली का उत्पादन होता है |

वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के लिये सरकार के द्वारा कई ऐसी योजनायें चलायी जा रही हैं  और solar panel लगाने पर सब्सिडी का प्रावधान कर दिया गया जिसके चलते लोगो में इसे लेकर रुझान हुआ और अब बहुत से लोग अपने घरों की छतों पर इसे लगवा रहे है | भारतीय बाजार में मुख्यत दो तरह के सोलर पैनल मोजूद है जिन्हें आप खरीद सकते है वो है -

Monocrystalline Solar Panels

Poly-crystalline Solar Panels


Mono-crystalline Solar Panels - इस तरह के सोलर पैनल थोड़े महंगे होते है और इसी वजह से इनकी क्वालिटी में भी होता अंतर होता है क्योंकि इसे बनाने में single silicon crystal का इस्तेमाल होता है जिसकी वजह से यह Poly वाले solar panel से अधिक efficent होते है और per square feet के हिसाब से अधिक इलेक्ट्रिसिटी बनाते है |

Poly-crystalline Solar Panels - नाम से ही पता चलता है poly type के सोलर पैनल multiple crystals के बनते होते है और Mono-crystalline Solar Panels की तुलना में यह कम महंगे होते है | भारत में अधिकतर इसी तरह के solar panel लोकप्रिय है |

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सोलर पैनल सिस्टम खरीदने से पहले किन बातों का रखे ख्याल

बिजली का उपयोग आज हर घर में किया जा रहा है और दिन प्रतिदिन यह उपयोग बढ़ता ही जा रहा है लेकिन इसी के साथ बिजली की कीमत भी बढ़ रही है इसीलिए हम बिजली बचाने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश करते हैं. बिजली बचाने के लिए हम हमारे उपकरण का उपयोग करना कम कर देते हैं. लेकिन कुछ ऐसे उपकरण होते हैं. जिनका इस्तेमाल हमें हर हाल में करना पड़ता है. इसीलिए बिजली बचाने के लिए हमें सोलर सिस्टम का इस्तेमाल करना चाहिए | सोलर सिस्टम लगवाने के बाद में हम इससे बिल्कुल मुफ्त में बिजली का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन अपने लिए उपयुक्त सोलर सिस्टम लगवाने से पहले हमें कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है जिसके बारे में हमने नीचे आपको बताया है.

 

इसे पढ़े: सोलर पैनल लगाना चाहते है, ये हैं कुछ टिप्स!


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1. कौन सा Solar System लगवाएं

 

सोलर सिस्टम मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं : Off Grid और On Grid OfGrid Solar System: ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम में आपको Solar Panel , Inverter और बैटरी का उपयोग करना पड़ता है. ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम का इस्तेमाल ऐसी जगह पर किया जाता है. जहां पर बिजली कम समय के लिए आती है. ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम में आपको बैटरी बैकअप मिलता है. जिससे कि आप Main Supply बंद होने पर भी अपने घर के उपकरण को चला सकते हैं. और ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम का इस्तेमाल ऐसी जगह पर भी किया जाता है जहां पर बिजली का कोई कनेक्शन नहीं होता. ऐसे में दिन के समय में सोलर पैनल की सहायता से हम बैटरी को चार्ज कर सकते हैं और रात के समय में इसका उपयोग कर सकते हैं.

On Grid Solar System: ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम का इस्तेमाल मुख्यतः बिजली बचाने के लिए किया जाता है .क्योंकि ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम तभी काम करता है जब Main Supply उपलब्ध होती है. जब Main Supply बंद हो जाती है. तो ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम भी बंद हो जाता है. और इससे आपको किसी प्रकार की कोई बिजली नहीं मिलती. ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम में सिर्फ सोलर पैनल और इनवर्टर का इस्तेमाल किया जाता है. और इनवर्टर की सहायता से आपके घर के सभी उपकरण चलाए जाते हैं और अगर आपका सोलर सिस्टम आपके Load से ज्यादा बिजली बनाता है. तो आप बिजली को बेच भी सकते हैं.

इन दोनों सोलर सिस्टम में से आपको कौन से सिस्टम की जरूरत है. यह आपके उपयोग के ऊपर निर्भर करेगा अगर आप को बैटरी बैकअप की जरूरत है तो आपको ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाना होगा और अगर आपको बिजली बचाने की जरूरत है और अगर आपके यहां बिजली कम जाती है तो आप को ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाना होगा.

2. कौन सा Solar Panel Types लगवाएं, कौन सा सोलर पैनल लगवाएं ?

सोलर पैनल दो प्रकार के होते हैं : Monocrystalline और Polycrystalline

Monocrystalline: जिस क्षेत्र में मौसम खराब रहता है या सूरज कम समय के लिए ही दिखाई देता है. उस क्षेत्र में Monocrystalline सोलर पैनल बहुत ही फायदेमंद होंगे.यह कम धूप में भी काम कर सकते हैं. Monocrystalline पैनल की Efficiency Polycrystalline पैनल के मुकाबले ज्यादा होती है.

Polycrystalline: Polycrystalline सोलर पैनल का इस्तेमाल अच्छी धूप वाले क्षेत्र में किया जाता है. और इनकी Efficiency Monocrystalline से थोड़ी कम होती है. इसीलिए इनकी कीमत भी कम होती है तो अगर आपके क्षेत्र में अच्छी धूप आती है तभी आप का Polycrystalline इस्तेमाल करें.

3. Calculate Your Load

सोलर सिस्टम खरीदने से पहले काफी लोग यही गलती कर देते हैं. वह बिना सोचे समझे सोलर सिस्टम लगवा लेते हैं .उन्हें नहीं पता होता कि कितने बड़े सोलर सिस्टम पर कितना लोड चला सकते हैं. तो ऐसी गलती आप बिल्कुल ना करें सबसे पहले आप अपने सभी उन उपकरण का लोड पता करें जो आप सोलर सिस्टम पर चलाना चाहते हैं. और उन सभी उपकरणों का लोड जोड़ लें जैसे कि

2 Ceiling fan = 160 watt (80+80 w)

5 CFL Light = 100 watt (20w per Light)

1 Ton Air Conditioner = 1200 watt

32 Inch LED Tv = 50 watt


 Total = 160 + 100 + 1200 +50 = 1510 Watt (1.5 kw) (अनुमानित)

आपको सोलर सिस्टम पर 1510 watt लोड चलाना है तो इसके लिए आप को कम से कम 2000 watt सोलर सिस्टम लगवाना होगा. लेकिन अगर आप ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाते हैं तो आपको इसमें बैटरी को चार्ज करने के लिए भी पावर की आवश्यकता होगी इसीलिए आपको 2000 watt से ज्यादा बड़ा सोलर सिस्टम लगवाना होगा.क्योंकि जब सोलर सिस्टम पर आप लोड चलाएंगे तो उस समय बैटरी को भी चार्ज करना पड़ेगा ताकि जब सोलर पैनल से सप्लाई आनी बंद हो तब आप के उपकरण बैटरी से चलने लगे. तो आपको कम से कम 2.5 kw का ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाना पड़ेगा .

1 kw का ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाने के लिए आपको लगभग 90,000 रुपए देने पड़ेंगे. जिसमें आप को Shipping , Installation बिल्कुल फ्री मिलेगी.अगर आप बैटरी पर अपने उपकरण को ज्यादा लंबे समय तक चलाना चाहते हैं तो  इसके लिए आपको ज्यादा बैटरियां लगानी पड़ेगी अगर मान लीजिए आपको 150 Ah की बैटरी से 4 घंटे का बैटरी बैकअप मिल रहा है और आपको 8 घंटे का बैकअप चाहिए तो आपको 150 - 150 Ah की 2 बैटरियों का उपयोग करे.

सोलर सिस्टम थोड़ा सा महंगा होता है इसीलिए इसे लगाने से पहले हमें इसके बारे में पूरी जानकारी होना बहुत ही जरूरी है. अगर आप को सोलर सिस्टम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आपको एक अच्छी कंपनी की जरूरत है जो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दे सके और आपके पूरे सोलर सिस्टम को आपके घर या ऑफिस में इंस्टॉल कर सके. इसके लिए Loom Solar Private Limited कंपनी बहुत ही बढ़िया है . यह कंपनी आपको सभी अच्छे ब्रांड के सोलर सिस्टम Provide करवा सकती है . अगर आप Loom Solar, Luminous, Microtek, Tata Power Solar, Vikram Solar, Canadian solar, Trina solar, Jinko, Adani जैसी कंपनियों के सोलर सिस्टम लगवाना चाहते हैं तो Loom Solar Private Limited से संपर्क कर सकते हैं. जहां पर आपको उचित कीमत में एक पूरा सोलर सिस्टम मिल जाएगा.

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